मस्कन-ए-माह-ओ-साल छोड़ गया
दिल को उस का ख़याल छोड़ गया
ताज़ा-दम जिस्म-ओ-जाँ थे फ़ुर्क़त में
वस्ल उस का निढाल छोड़ गया
अहद-ए-माज़ी जो था अजब पुर-हाल
एक वीरान हाल छोड़ गया
झाला-बारी के मरहलों का सफ़र
क़ाफ़िले पाएमाल छोड़ गया
दिल को अब ये भी याद हो कि न हो
कौन था क्या मलाल छोड़ गया
मैं भी अब ख़ुद से हूँ जवाब-तलब
वो मुझे बे-सवाल छोड़ गया
ग़ज़ल
मस्कन-ए-माह-ओ-साल छोड़ गया
जौन एलिया