मैं पी रही हूँ कि ज़हराब हैं मिरे आँसू
तिरी नज़र में फ़क़त आब हैं मिरे आँसू
तू आफ़्ताब है मेरा मैं तुझ से हूँ रौशन
तिरे हुज़ूर तो महताब हैं मिरे आँसू
वो ग़ालिबन उन्हें हाथों में थाम भी लेता
उसे ख़बर न थी सैलाब हैं मिरे आँसू
ख़याल रखते हैं तन्हाइयों का महफ़िल का
ये कितने वाक़िफ़-ए-आदाब हैं मिरे आँसू
छुपा के रखती हूँ हर ग़म को लाख पर्दों में
फ़सील-ए-ज़ब्त से नायाब हैं मिरे आँसू
सहीफ़ा जान के आँखों को पढ़ रहा है कोई
ये रस्म-ए-इजरा को बेताब हैं मिरे आँसू
मैं शायरी के हूँ फ़न्न-ए-अरूज़ से वाक़िफ़
ज़बर हैं ज़ेर हैं एराब हैं मिरे आँसू
जिसे पढ़ा नहीं तुम ने कभी मोहब्बत से
किताब-ए-ज़ीस्त का वो बाब हैं मिरे आँसू
'हया' के राज़ को आँखों में ढूँडने वालो
शनावरो सुनो गिर्दाब हैं मिरे आँसू

ग़ज़ल
मैं पी रही हूँ कि ज़हराब हैं मिरे आँसू
लता हया