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मैं ने कहा कि राज़ छुपाया न जाएगा | शाही शायरी
maine kaha ki raaz chhupaya na jaega

ग़ज़ल

मैं ने कहा कि राज़ छुपाया न जाएगा

मसऊद हुसैन ख़ां

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मैं ने कहा कि राज़ छुपाया न जाएगा
बोले किसी से मुँह भी लगाया न जाएगा

हो एक दो घड़ी का तो हम जी पे सह भी लें
आठों पहर का ग़म तो उठाया न जाएगा

इस ना-मुराद दिल ने ये ठानी है ऐ ख़याल
सोई मोहब्बतों को जगाया न जाएगा

हर ग़ुंचा दिल-गिरफ़्ता हुआ सुन के मेरी बात
छोड़ो भी अब वो क़िस्सा सुनाया न जाएगा

किस भारी दिल से जाते हैं हम उस के दर पे आज
सर झुक गया वहाँ तो उठाया न जाएगा

किस की नज़र के काँटे पे तुलता है बर्ग-ए-गुल
तेरे सुबुक लबों से बताया न जाएगा

हर लाला उस चमन का है बे-दाग़ आरज़ू
शबनम से ये चराग़ जलाया न जाएगा

'मसऊद' बाग़-ए-हिन्द में क्या आ गई बहार
हम से तो इस बहार में गाया न जाएगा