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मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया | शाही शायरी
maine ghaTe ka bhi ek sauda kiya

ग़ज़ल

मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया

साबिर ज़फ़र

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मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया
जिस से जो व'अदा किया पूरा किया

अपनी यादें उस से वापस माँग कर
मैं ने अपने-आप को यकजा किया

काश उस पर चल भी सकता मैं कभी
उम्र भर हमवार जो रस्ता किया

सुल्ह का पैमाँ किया हर शख़्स से
और अपने-आप से झगड़ा किया

इश्क़ में इक शख़्स क्या बिछड़ा 'ज़फ़र'
मैं ने हर परछाईं का पीछा किया