महरम-ए-दिल हुआ वो सहरा वा
कर कि मालूम वाली-ओ-रुस्वा
सोच कर आह-ए-दर्द कूँ आराम
दिल हमारा हुआ दरस का गदा
मेहर कर मेहर मोम-दिल हो कर
कर अता दिल का मुद्दआ' सारा
दर्द का घर हुआ हमारा दिल
हार गुल का हुआ गुल-ए-सौदा
दिल कहा ला-इलाहा इल-लल्लाह
विर्द-ए-इस्म-ए-रसूल कर के सदा
ग़ज़ल
महरम-ए-दिल हुआ वो सहरा वा
सिराज औरंगाबादी