महफ़िल में हम थे इस तरफ़ वो शोख़ चंचल उस तरफ़
थी सादा-लौही इस तरफ़ मक्र-ओ-फ़ुसूँ छल उस तरफ़
बैठे हम अपने ध्यान में बैठा वो अपनी आन में
फ़िक्र-ए-नज़ारा इस तरफ़ मुखड़े पर आँचल उस तरफ़
क्या क्या दिखाती है अलम क्या क्या रखे है पेच-ओ-ख़म
आहों की शोरिश इस तरफ़ ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल उस तरफ़
हम दे के दिल हैं रंज-कश वो ले के दिल है जी में ख़ुश
बे-ताबी-ए-जाँ इस तरफ़ राहत ख़ुशी कल उस तरफ़
आज उस से मिलने को 'नज़ीर' अहवाल है दिल का अजब
हम खींचते हैं इस तरफ़ कहता है वो चल उस तरफ़
ग़ज़ल
महफ़िल में हम थे इस तरफ़ वो शोख़ चंचल उस तरफ़
नज़ीर अकबराबादी