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महफ़िल में हम थे इस तरफ़ वो शोख़ चंचल उस तरफ़ | शाही शायरी
mahfil mein hum the is taraf wo shoKH chanchal us taraf

ग़ज़ल

महफ़िल में हम थे इस तरफ़ वो शोख़ चंचल उस तरफ़

नज़ीर अकबराबादी

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महफ़िल में हम थे इस तरफ़ वो शोख़ चंचल उस तरफ़
थी सादा-लौही इस तरफ़ मक्र-ओ-फ़ुसूँ छल उस तरफ़

बैठे हम अपने ध्यान में बैठा वो अपनी आन में
फ़िक्र-ए-नज़ारा इस तरफ़ मुखड़े पर आँचल उस तरफ़

क्या क्या दिखाती है अलम क्या क्या रखे है पेच-ओ-ख़म
आहों की शोरिश इस तरफ़ ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल उस तरफ़

हम दे के दिल हैं रंज-कश वो ले के दिल है जी में ख़ुश
बे-ताबी-ए-जाँ इस तरफ़ राहत ख़ुशी कल उस तरफ़

आज उस से मिलने को 'नज़ीर' अहवाल है दिल का अजब
हम खींचते हैं इस तरफ़ कहता है वो चल उस तरफ़