महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है 
हम में हलाक-ए-ताले-ए-बेदार कौन है 
हम अपने साए से तो भड़क कर अलिफ़ हुए 
देखा नहीं मगर पस-ए-दीवार कौन है 
हर लम्हे की कमर पे है इक महमिल-ए-सुकूत 
लोगो बताओ क़ातिल-ए-गुफ़्तार कौन है 
घर घर खिले हैं नाज़ से सूरज-मुखी के फूल 
सूरज को फिर भी माने-ए-दीदार कौन है 
पत्थर उठा के दर्द का हीरा जो तोड़ दे 
वो कज-कुलाह बाँका तरह-दार कौन है
        ग़ज़ल
महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

