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मातम-कदा बना है गुलिस्ताँ तिरे बग़ैर | शाही शायरी
matam-kada bana hai gulistan tere baghair

ग़ज़ल

मातम-कदा बना है गुलिस्ताँ तिरे बग़ैर

बिल्क़ीस बेगम

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मातम-कदा बना है गुलिस्ताँ तिरे बग़ैर
हर गुल हुआ है चाक-गरेबाँ तिरे बग़ैर

लम्हात-ए-पुर-सुकून कहाँ और मैं कहाँ
बिखरा पड़ा है होश का सामाँ तिरे बग़ैर