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माँगने से तो हुकूमत नहीं मिलने वाली | शाही शायरी
mangne se to hukumat nahin milne wali

ग़ज़ल

माँगने से तो हुकूमत नहीं मिलने वाली

तनवीर गौहर

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माँगने से तो हुकूमत नहीं मिलने वाली
भीक में हम को ये अज़्मत नहीं मिलने वाली

गर यही हाल ज़माने में तअ'स्सुब का रहा
आगे नस्लों में मोहब्बत नहीं मिलने वाली

दूसरों का भी अदब करना ज़रूरी है बहुत
तल्ख़ लहजे से तो इज़्ज़त नहीं मिलने वाली

मौत का वक़्त मुअ'य्यन है अज़ल से इस में
किसी लम्हे की भी मोहलत नहीं मिलने वाली

वक़्त ने बख़्शी हैं साँसें तो कमा ले नेकी
बा'द मरने के ये दौलत नहीं मिलने वाली

ज़िक्र-ए-मा'बूद ही तस्कीन का सामाँ होगा
ज़िक्र दुनिया में तो राहत नहीं मिलने वाली

वो जो माँ बाप की इज़्ज़त नहीं करते 'गौहर'
उन से कह दो उन्हें जन्नत नहीं मिलने वाली