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लूट ले सरमाया-ए-दिल लूट ले | शाही शायरी
luT le sarmaya-e-dil luT le

ग़ज़ल

लूट ले सरमाया-ए-दिल लूट ले

राज्य बहादुर सकसेना औज

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लूट ले सरमाया-ए-दिल लूट ले
ऐ फ़रेब-ए-चश्म-ए-क़ातिल लूट ले

मुझ से फ़य्याज़-ए-मोहब्बत है कोई
कह रहा हूँ ख़ुद मिरा दिल लूट ले

ये तमन्ना है कि कोई राहज़न
कारवान-ए-मंज़िल-ए-दिल लूट ले

लुत्फ़ जब है तेरी दुज़्दीदा नज़र
आँख मिलते ही मिरा दिल लूट ले

सूरत-ए-परवाना हूँ मैं बज़्म में
मुझ को तू ऐ शम-ए-महफ़िल लूट ले

हुस्न की आज़ादियों का ज़िक्र क्या
हुस्न अगर चाहे तो महफ़िल लूट ले

'औज' की भी काएनात-ए-जान-ओ-दिल
ओ बुत-ए-ज़ोहरा-शमाइल लूट ले