EN اردو
लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में | शाही शायरी
lutf aata hai unhen har zulm-e-nau-ijad mein

ग़ज़ल

लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में

ज़ैनब बेगम इबरत

;

लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में
चैन आता है मुझे दर्द-ए-दिल-ए-नाशाद में

दिल को देखूँ या जिगर को या ग़म-ओ-अंदोह को
साज़-ए-हस्ती जल रहा है अब किसी की याद में

जान मुज़्तर दिल मुकद्दर क़ल्ब महज़ूँ चश्म नम
हाए क्या क्या बन गई हम पर किसी की याद में