लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में
चैन आता है मुझे दर्द-ए-दिल-ए-नाशाद में
दिल को देखूँ या जिगर को या ग़म-ओ-अंदोह को
साज़-ए-हस्ती जल रहा है अब किसी की याद में
जान मुज़्तर दिल मुकद्दर क़ल्ब महज़ूँ चश्म नम
हाए क्या क्या बन गई हम पर किसी की याद में
ग़ज़ल
लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में
ज़ैनब बेगम इबरत