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लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है | शाही शायरी
log kahte hain mohabbat mein asar hota hai

ग़ज़ल

लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

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लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है
कौन से शहर में होता है किधर होता है

उस के कूचे में है नित सूरत-ए-बेदाद नई
क़त्ल हर ख़स्ता बा-अंदाज़-ए-दिगर होता है

नहीं मालूम कि मातम है फ़लक पर किस का
रोज़ क्यूँ चाक गिरेबान-ए-सहर होता है

वूहीं अपनी भी है बारीक-तर-अज़-मू गर्दन
तेग़ के साथ यहाँ ज़िक्र-ए-कमर होता है

कर के मैं याद दिल अपने को बहुत रोता हूँ
जब किसी शख़्स का दुनिया से सफ़र होता है

उस की मिज़्गाँ का कोई नाम न लो क्या हासिल
मेरा इन बातों से सुराख़ जिगर होता है

'मुसहफ़ी' हम तो तिरे मिलने को आए कई बार
ऐ दिवाने तू किसी वक़्त भी घर होता है