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लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का | शाही शायरी
lab-e-shirin hai misri yusuf-e-sani hai ye laDka

ग़ज़ल

लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का

नाजी शाकिर

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लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का
न छोड़ेगा मेरा दिल चाह-ए-कनआनी है ये लड़का

लिया बोसा किसी ने और गरेबाँ-गीर है मेरा
डुबाया चाहता है सब को तूफ़ानी है ये लड़का

सर ऊपर लाल चीरा और दहन जूँ ग़ुंचा-ए-रंगीं
बहार-ए-मुद्दआ लाल-ए-बदख़शानी है ये लड़का

क़यामत है झमक बाज़ू के तावीज़-ए-तलाई की
हिसार-ए-हुस्न कूँ क़ाइम किया बानी है ये लड़का

हुए रू-पोश उस का हुस्न देख अंजुम के जूँ ख़ूबाँ
चमकता है ब-रंग-ए-मेहर नूरानी है ये लड़का

क़यामत क़ामत उस का जिन ने देखा सो हुआ बिस्मिल
मगर सर ता क़दम तेग़-ए-सुलेमानी है ये लड़का

मैं अपना जान ओ दिल क़ुर्बां करूँ ऊस पर सेती 'नाजी'
जिसे देखें सीं हुए ईद रमज़ानी है ये लड़का