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क्यूँ आईने में देखा तू ने जमाल अपना | शाही शायरी
kyun aaine mein dekha tu ne jamal apna

ग़ज़ल

क्यूँ आईने में देखा तू ने जमाल अपना

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

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क्यूँ आईने में देखा तू ने जमाल अपना
देखा तो ख़ैर देखा पर दिल सँभाल अपना

उस का हो जब तसव्वुर कब हो ख़याल अपना
कैसी मुसीबत अपनी कैसा ख़याल अपना

खोया ग़म-ए-रिफ़ाक़त देखो कमाल अपना
बहका दिया है सब को दिखला के हाल अपना

बिन देखे तेरी सूरत जीना वबाल अपना
बिन आए तेरे ज़ालिम मरना मुहाल अपना

ख़िर्मन तो देख लेते बिजली बला से गिरती
होता था खेत 'आरिफ़' यूँ पाएमाल अपना