क्या सर-ए-तहरीर है और क्या पस-ए-तहरीर देख
या'नी हर इक तख़रीब के पर्दे में इक तस्वीर देख
थी हर इक तख़रीब के पर्दे में इक ता'मीर देख
ग़ौर से माज़ी में अपने हाल की तस्वीर देख
कौन पाबंद-ए-वफ़ा है कौन है नंग-ए-वफ़ा
शम्अ' की आग़ोश में परवाने की तक़दीर देख
बन गया है आज की तहज़ीब का ये आइना
हर बदी की नेकियों के नाम से तश्हीर देख
देखना ही है तो तिनका देख अपनी आँख का
दूसरे की आँख का ऐ दोस्त मत शहतीर देख
वक़्त की होती हैं 'ग़ाज़ी' सब करिश्मा-साज़ियाँ
मुंकिर-ए-तक़दीर को भी माइल-ए-तक़दीर देख

ग़ज़ल
क्या सर-ए-तहरीर है और क्या पस-ए-तहरीर देख
यूनुस ग़ाज़ी