क्या ख़बर किस को कब कहाँ दे दे
और दे दे तो दो जहाँ दे दे
है यही इश्क़ की नमाज़ का वक़्त
हिज्र उठ जा ज़रा अज़ाँ दे दे
ये जो बच्चे हवा में कूदते हैं
इन के हाथों में आसमाँ दे दे
कब तलक ज़िंदगी सफ़र में रहे
क़ब्र ही दे दे पर मकाँ दे दे
फूल कितने उदास लगते हैं
ऐ ख़ुदा इन को तितलियाँ दे दे
ये मिरे हक़ में बोल सकते हैं
पत्थरों को ख़ुदा ज़बाँ दे दे
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ग़ज़ल
क्या ख़बर किस को कब कहाँ दे दे
नादिम नदीम