क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है
रोंगटा रोंगटा यहाँ दिल है
ले चुके दिल तो हँस के फ़रमाया
कहिए अब आज-कल कहाँ दिल है
एक ग़ुंचा है देखने में मगर
ग़ौर कीजिए तो गुल्सिताँ दिल है
है वो नावक-फ़गन शरफ़ जिस के
नावक-ए-आह की कमाँ दिल है

ग़ज़ल
क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है
शरफ़ मुजद्दिदी