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क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है | शाही शायरी
kya bataen tumhein kahan dil hai

ग़ज़ल

क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है

शरफ़ मुजद्दिदी

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क्या बताएँ तुम्हें कहाँ दिल है
रोंगटा रोंगटा यहाँ दिल है

ले चुके दिल तो हँस के फ़रमाया
कहिए अब आज-कल कहाँ दिल है

एक ग़ुंचा है देखने में मगर
ग़ौर कीजिए तो गुल्सिताँ दिल है

है वो नावक-फ़गन शरफ़ जिस के
नावक-ए-आह की कमाँ दिल है