EN اردو
कोई अहद-ए-वफ़ा भूला हुआ हूँ | शाही शायरी
koi ahd-e-wafa bhula hua hun

ग़ज़ल

कोई अहद-ए-वफ़ा भूला हुआ हूँ

फ़रहत नदीम हुमायूँ

;

कोई अहद-ए-वफ़ा भूला हुआ हूँ
नहीं कुछ याद क्या भूला हुआ हूँ

ख़बर-गीरी करूँगा क्या किसी की
मैं ख़ुद अपना पता भूला हुआ हूँ

अगर मांगों तो शायद पा सकूँ कुछ
मगर हर्फ़-ए-दुआ भूला हुआ हूँ

ख़ुद अपने शहर ही में हूँ मुसाफ़िर
मैं घर का रास्ता भूला हुआ हूँ

मुझे है याद जो तुझ से सुना था
ख़ुद अपना ही कहा भूला हुआ हूँ

हूँ ज़िंदा इस लिए फ़ुर्क़त में अब तक
कि नश्शा वस्ल का भूला हुआ हूँ

दुआएँ माँगता हूँ सब की ख़ातिर
ख़ुद अपना मुद्दआ' भूला हुआ हूँ

ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-दिल
सभी तेरे सिवा भूला हुआ हूँ

'नदीम' उस के बिना जीवन ये मेरा
जज़ा है या सज़ा भूला हुआ हूँ