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किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा | शाही शायरी
kisi ke jal mein aa kar main apna dil ganwa baiTha

ग़ज़ल

किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा

बाबर रहमान शाह

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किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा
मुझे था इश्क़ क़ातिल से मैं अपना सर कटा बैठा

ग़ज़ब का संग-दिल आग़ाज़ से ही बे-मुरव्वत था
कि जिस से दूर रहना था मैं उस के पास जा बैठा

मिरा माबूद तो इश्क़-ए-बुताँ से लाख अफ़ज़ल था
मुझे किस से लगाना था मैं दिल किस से लगा बैठा