किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
वो ज़ालिम आसमाँ जाने मिरी दुनिया कहाँ होगी
कभी इक ख़्वाब देखा था मिरे पहलू में तुम होगी
कहानी प्यार की आँखों ही आँखों में बयाँ होगी
लहू दिल का मिरी आँखों का पानी बन के कहता है
न हम होंगे न तुम होगे हमारी दास्ताँ होगी
ग़ज़ल
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
राजेन्द्र कृष्ण