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किस सितमगर का गुनाहगार हूँ अल्लाह अल्लाह | शाही शायरी
kis sitamgar ka gunahgar hun allah allah

ग़ज़ल

किस सितमगर का गुनाहगार हूँ अल्लाह अल्लाह

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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किस सितमगर का गुनाहगार हूँ अल्लाह अल्लाह
किस के तीरों से दिल-अफ़गार हूँ अल्लाह अल्लाह

उस के हाथों से न जीता हूँ न मरता हूँ मैं
किस मुसीबत में गिरफ़्तार हूँ अल्लाह अल्लाह

ख़िज़्र अब दूर कर आगे से मिरे आब-ए-हयात
किस के बोसे का तलबगार हूँ अल्लाह अल्लाह

क्यूँ न आँखों में रखे मुझ को ज़ुलेख़ा भी अज़ीज़
कैसे यूसुफ़ का ख़रीदार हूँ अल्लाह अल्लाह

नमक-ए-हुस्न से उस लब के मज़े लूटूँ हूँ
किस नमक-दाँ का नमक-ख़्वार हूँ अल्लाह अल्लाह

नर्गिस अब हम से न कर दावा-ए-हम-चश्मी तू
किस की नर्गिस का मैं बीमार हूँ अल्लाह अल्लाह

इतना कहता भी नहीं कौन ये चिल्लाता है
कब से नालाँ पस-ए-दीवार हूँ अल्लाह अल्लाह

ख़्वाब में यार ने आ मुझ को जगाया 'हातिम'
किस क़दर ताले-ए-बेदार हूँ अल्लाह अल्लाह