ख़्वाब था या ख़याल था क्या था
हिज्र था या विसाल था क्या था
मेरे पहलू में रात जा कर वो
माह था या हिलाल था क्या था
चमकी बिजली सी पर न समझे हम
हुस्न था या जमाल था क्या था
शब जो दिल दो दो हाथ उछलता था
वज्द था या वो हाल था क्या था
जिस को हम रोज़-ए-हिज्र समझे थे
माह था या वो साल था क्या था
'मुसहफ़ी' शब जो चुप तू बैठा था
क्या तुझे कुछ मलाल था क्या था
ग़ज़ल
ख़्वाब था या ख़याल था क्या था
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी