ख़्वाब से पर्दा करो देखो मत
अब अगर देख सको देखो मत
गिरते शहतीरों के जंगल हैं ये शहर
चुप रहो चलते रहो देखो मत
झूट सच दोनों ही आईने हैं
उस तरफ़ कोई न हो देखो मत
हुस्न क्या एक चमन इक कोहराम
तेज़-ओ-आहिस्ता चलो देखो मत
पंखुड़ी एक परत और परत
क्यूँ बखेड़े में पढ़ो देखो मत
हर कली एक भँवर इक बादल
खेल में खेल न हो देखो मत
ये पुरानी ये अनोखी ख़ुशबू
कुछ दिन आवारा फिरो देखो मत
हर तरफ़ देखने वाली आँखें
उन के साए से बचो देखो मत
कम-लिबासी हो गिला या इसरार
बे-ख़बर जैसे रहो देखो मत
आफ़ियत इस में है ग़ाफ़िल गुज़रो
मत निगाहों से गिरो देखो मत
केंचुली हट गई ज़िंदा रेशम
फिर ये कहता है हटो देखो मत
देखते देखते मंज़र है कुछ और
धूल आँखों में भरो देखो मत
सत्ह के नीचे है क्या जाने कौन
लहर की लय पे बढ़ो देखो मत
एक ही जल है यहाँ माया-जल
प्यास के जाल बुनो देखो मत
ग़ज़ल
ख़्वाब से पर्दा करो देखो मत
महबूब ख़िज़ां

