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ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा | शाही शायरी
KHwab rangon se bani hai yaad taza

ग़ज़ल

ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा

ज़फ़र गौरी

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ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा
धूप लिख लाई मुबारक याद ताज़ा

फिर बहा ले जाएगा लावा लहू का
संग-दिल पर घर की रख बुनियाद ताज़ा

आब-ए-ताज़ा ख़ंजर-ए-ख़ामोश को दे
है बुरीदा-लब पे इक फ़रियाद ताज़ा

बे-सुतूनी फिर उठाए संग सर है
चाहती है जू-ए-ख़ूँ फ़रहाद ताज़ा

बे-चराग़ाँ बस्तियों को ज़िंदगी दे
इक सितम ऐसा भी कर ईजाद ताज़ा

आसमाँ सर पर भी क्या क़ाएम नहीं है
कुछ तो कह ऐ उक़्दा-ए-उफ़्ताद ताज़ा

ऐसी संगीं चुप कि दिल फटने लगा है
कुछ तो ऐ शो'ला-नवा इरशाद ताज़ा