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ख़ुशियाँ तमाम ग़म में वो तब्दील कर गया | शाही शायरी
KHushiyan tamam gham mein wo tabdil kar gaya

ग़ज़ल

ख़ुशियाँ तमाम ग़म में वो तब्दील कर गया

सैफ़ी सरौंजी

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ख़ुशियाँ तमाम ग़म में वो तब्दील कर गया
आख़िर मिरे ख़ुलूस की तज़लील कर गया

वो एक शख़्स दोस्तों मर तो गया मगर
रौशन जहाँ में प्यार की क़िंदील कर गया

लिख कर वफ़ा का नाम वो सादा वरक़ पे आज
पूरी हर इक किताब की तफ़्सील कर गया

शो'ला-बयाँ था कितना ख़तरनाक दोस्तो
लफ़्ज़ों का ज़हर जिस्म में तहलील कर गया

'सैफ़ी' की आज मौत पे दुश्मन भी कह उठे
अच्छा था वो हयात की तकमील कर गया