कौन दिल है कि तिरे दर्द में बीमार नहीं
कौन जी है कि तिरे ग़म में गिरफ़्तार नहीं
कौन दहरा है कि तुझ बुत की नहीं है पूजा
कौन मस्जिद है कि तुझ दर्स की तकरार नहीं
कौन ख़ुश-रू है कि तुझ रू का नहीं है तालिब
कौन तालिब है कि तुझ शय का तलबगार नहीं
कौन सूफ़ी है कि तुझ मय से नहीं है मदहोश
कौन कैफ़ी है कि तुझ कैफ़ से हुशियार नहीं
कौन कहता है कि 'हातिम' को नहीं तुझ से प्यार
कौन कहता है कि 'हातिम' से तुझे प्यार नहीं
ग़ज़ल
कौन दिल है कि तिरे दर्द में बीमार नहीं
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम