EN اردو
करो तलाश हद-ए-आसमाँ मिलने न मिले | शाही शायरी
karo talash had-e-asman milne na mile

ग़ज़ल

करो तलाश हद-ए-आसमाँ मिलने न मिले

अज़ीज़ तमन्नाई

;

करो तलाश हद-ए-आसमाँ मिलने न मिले
निशान-ए-रहगुज़र-ए-कारवाँ मिले न मिले

चलो जलाए हुए मशअ'ल-ए-यक़ीं दिल में
कनार-ए-बहर-ए-मुहीत-ए-गुमाँ मिले न मिले

रवाँ-दवाँ हूँ हर इक मौज-ए-ख़ुश-ख़िराम की सम्त
पस-ए-सराब वो जू-ए-रवाँ मिले न मिले

अभी सदा-ए-जरस गूँजती है कानों में
सुराग़-ए-क़ाफ़िला-ए-रफ़्तगाँ मिले न मिले

अभी न दामन-ए-उम्मीद छूटने पाए
फिर एक बार वो नज़दीक-ए-जाँ मिले न मिले

हर एक गाम है इक सज्दा-गह 'तमन्नाई'
जबीं को संग-ए-दर-ए-आस्ताँ मिले न मिले