करेंगे ज़ुल्म दुनिया पर ये बुत और आसमाँ कब तक
रहेगा पीर ये कब तक रहोगे तुम जवाँ कब तक
ख़ुदावंदा इन्हें किस दिन शुऊर आएगा दुनिया का
रहेंगी बे-पढ़ी-लिक्खी हमारी लड़कियाँ कब तक
फिरेगा और कितने दिन ख़याली पार घोड़े पर
उड़ेगा शेर-गोई में न इंजन का धुआँ कब तक
इनान-ए-हुक्मरानी देखिए किस दिन ख़ुदा लेगा
रहेंगे क़िस्मतों पर हुक्मराँ ये आसमाँ कब तक
दिए जाएँगे कब तक शैख़-साहिब कुफ़्र के फ़तवे
रहेंगी उन के संदूक़चा में दीं की कुंजियाँ कब तक
चली जाएगी इक ही रुख़ हवा ताकि ज़माने की
न पूरा होगा तेरा दौर ये ऐ आसमाँ कब तक
तहम्मुल ख़त्म होते ही बड़ी बद-नामियाँ होंगी
तुम्हारे ख़ौफ़ से 'परवीं' न खोलेगी ज़बाँ कब तक

ग़ज़ल
करेंगे ज़ुल्म दुनिया पर ये बुत और आसमाँ कब तक
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़