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कल परदेस में याद आएगी ध्यान में रख | शाही शायरी
kal pardes mein yaad aaegi dhyan mein rakh

ग़ज़ल

कल परदेस में याद आएगी ध्यान में रख

अज़हर अदीब

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कल परदेस में याद आएगी ध्यान में रख
अपने शहर की मिट्टी भी सामान में रख

सारे जिस्म को ले कर घूम ज़माने में
बस इक दिल की धड़कन पाकिस्तान में रख

जाने किस रस्ते से किरनें आ जाएँ
दिल दहलीज़ पे आँखें रौशन-दान में रख

झील में इक महताब ज़रूरी होता है
कोई तमन्ना इस चश्म-ए-हैरान में रख

हम से शर्त लगाने की इक सूरत है
अपने सारे ख़्वाब यहाँ मैदान में रख

जब भी चाहूँ तेरा चेहरा सोच सकूँ
बस इतनी सी बात मिरे इम्कान में रख

तितली रस्ता भूल के आ भी सकती है
काग़ज़ के ये फूल अभी गुल-दान में रख

अपने दिल से रुस्वाई का ख़ौफ़ निकाल
'अज़हर' अब तस्वीर मिरी दालान में रख