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कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का | शाही शायरी
kaisa matam kaisa rona miTTi ka

ग़ज़ल

कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का

आरिफ़ शफ़ीक़

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कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का
टूट गया है एक खिलौना मिट्टी का

उतरूँगा आफ़ाक़ से जब मैं धरती पर
भर लूँगा दामन में सोना मिट्टी का

इक दिन मिट्टी ओढ़ के मुझ को सोना है
क्या ग़म जो है आज बिछौना मिट्टी का

ऊँचा उड़ने की ख़्वाहिश में तुम 'आरिफ़'
माओं जैसा प्यार न खोना मिट्टी का