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कहता न था मैं ऐ दिल तू उस से जी लगा न | शाही शायरी
kahta na tha main ai dil tu us se ji laga na

ग़ज़ल

कहता न था मैं ऐ दिल तू उस से जी लगा न

मीर हसन

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कहता न था मैं ऐ दिल तू उस से जी लगा न
उस का तो क्या गया अब तेरा ही जी गया न

सौ बार मैं ने झाँका चिलमन से उस को लेकिन
इतना कहा न उस ने क्या देखता है आ न

मैं ख़ूब रो चुका हूँ ज़ालिम बस और मुझ को
आज़ुर्दगी की बातें कह कह के तू रुला न

जाते ही यार के तू कहता था मर रहूँगा
वक़्त-ए-विदाअ ऐ दिल आख़िर तू मर गया न

कल मैं ने हँसते हँसते पूछा कि कोई दम याँ
फ़रमाइए तो मैं भी बैठा रहूँ कि या न

तेवरी चढ़ा के बोला चल चल ख़बर ले अपनी
जी लग रहा है तेरा जीधर तू अपने जा न

कहता न था कि हर दम उस की गली में मत जा
इस बात का अब आख़िर चर्चा 'हसन' हुआ न