कभी तो इश्क़ में उन के सदाक़त आ ही जाएगी
कभी तो उन के दिल में मेरी चाहत आ ही जाएगी
अभी तो मेरे अरमाँ ख़ून के आँसू बहाते हैं
कभी तो दिल के उन ज़ख़्मों को राहत आ ही जाएगी
मिरे गुलशन का हर इक फूल मुरझाया हुआ सा है
कभी कलियों के लब पर मुस्कुराहट आ ही जाएगी
ये डर है बे-रुख़ी का वो गिला शिकवा न कर बैठें
किसी दिन उन के होंटों पर शिकायत आ ही जाएगी
अभी वो आज़माते हैं उन्हें कुछ न कहो 'रिज़वी'
किसी दिन उन की चाहत में क़यामत आ ही जाएगी
ग़ज़ल
कभी तो इश्क़ में उन के सदाक़त आ ही जाएगी
सय्यद एजाज़ अहमद रिज़वी