काठ की लड़कियाँ बना ली हैं
मैं ने कठ-पुतलियाँ बना ली हैं
नाम उस का लिखा है काग़ज़ पर
कारगर उँगलियाँ बना ली हैं
आँधियो तुम गुनाह कर डालो
फूस की झुग्गियाँ बना ली हैं
इन को मेरे नसीब में लिख दो
चाँद सी रोटियाँ बना ली हैं
नय्यर तो लाओ बदलियो जा कर
ताल में मछलियाँ बना ली हैं
घर में ताज़ा हवाएँ आएँगी
ज़ेहन में खिड़कियाँ बना ली हैं
अब ख़िज़ाँ को सलाम भेजूँगा
शाख़ों पर पत्तियाँ बना ली हैं
मेरी बातों में कुछ असर दे दो
होंटों पर सुर्ख़ियाँ बना ली हैं
दिल को बहला रहा हूँ 'साजिद'-जी
मोम की तितलियाँ बना ली हैं

ग़ज़ल
काठ की लड़कियाँ बना ली हैं
साजिद प्रेमी