कार-ए-हुनर सँवारने वालों में आएगा
जब भी हमारा नाम हवालों में आएगा
टीलों को साथ ले के जो उड़ती रही हवा
सहरा का रंग बर्फ़ के गालों में आएगा
जब आफ़ताब-ए-उम्र की ढलने लगेगी धूप
तब रौशनी का फ़न मिरे बालों में आएगा
कैसा फ़िराक़ कैसी जुदाई कहाँ का हिज्र
वो जाएगा अगर तो ख़यालों में आएगा
इंसाँ से प्यार हुस्न-परस्ती वतन से इश्क़
हम ने किया है यूँ कि मिसालों में आएगा
'अंजुम'-ख़लीक़ इक नए अंजुम को देखना
जिस दिन वो आगही के उजालों में आएगा
ग़ज़ल
कार-ए-हुनर सँवारने वालों में आएगा
अंजुम ख़लीक़