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जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी | शाही शायरी
juD jaen tasawir to ban jae kahani

ग़ज़ल

जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी

ज़ीशान साजिद

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जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी
लम्हात इकट्ठे हों तो कहलाए कहानी

मरना ही हक़ीक़त है तो फिर ज़िंदगी क्या है
ये धूप की शिद्दत ये घने साए कहानी

सब कैमरे तक़दीर की जानिब ही मुड़े हैं
कोई मिरी मेहनत पे भी फ़िल्माए कहानी

इक दाएरे में घूमती है सोई घड़ी की
हर बार ज़माना वही दोहराए कहानी

हम से तो ये हालात की परतें नहीं खुलतीं
हर एक कहानी में नज़र आए कहानी

कहते हैं तग-ओ-दौ में मदद करता है रब ख़ुद
हारे हुए किरदार को जितवाए कहानी

मंज़र की तरंगों में वो गहराई है 'ज़ीशान'
मुझ को तो हर इक अक्स नज़र आए कहानी