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जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है | शाही शायरी
jo kuchh hua so hua ab sawal hi kya hai

ग़ज़ल

जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है

सुहा मुजद्ददी

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जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है
बयान हाल करूँ मुझ में हाल ही क्या है

कुछ और चाहती है उन से शोरिश-ए-उल्फ़त
हुआ ख़याल तो ऐसा ख़याल ही क्या है

ज़माना चाहिए वो ए'तिराफ़-ए-शौक़ करें
अभी ये रोज़ ओ शब ओ माह ओ साल ही क्या है

किसी ख़याल में बस ज़िंदगी गुज़र जाए
ग़म-ए-फ़िराक़ ओ उम्मीद-ए-विसाल ही क्या है

बुरा किया न करेंगे कभी सितम का गिला
हुज़ूर दूर ही कर दें मलाल ही क्या है

क़रार दिल को मयस्सर नहीं कहीं जाओ
नज़र-फ़रेबी-ए-हुस्न-ओ-जमाल ही क्या है

वो सामने हैं मगर हुस्न इस को कहते हैं
कोई नज़र तो उठाए मजाल ही क्या है

बड़ा कमाल किया भी तो छू लिया दामन
दराज़-दस्ती-ए-दस्त-ए-सवाल ही क्या है

हुए वो हम से पशीमाँ 'सुहा' करम उन का
वगरना आरज़ू-ए-पाएमाल ही क्या है