जो कहते हैं किधर दीवानगी है
उन्हीं की हम-सफ़र दीवानगी है
तवक्कुल बे-नियाज़ी साथ हों तो
ग़म-ए-दीवार-ओ-दर दीवानगी है
सिसकते ख़्वाब आँखों में बसा कर
सितारों पर नज़र दीवानगी है
कमाल-ए-आदमी आगाही-ए-कल
मआल-ए-दीदा-वर दीवानगी है
दुआएँ बाइ'स-ए-तस्कीं हैं लेकिन
तमन्ना-ए-असर दीवानगी है
हवाएँ तीर की मानिंद हों जब
यक़ीन-ए-बाल-ओ-पर दीवानगी है
ये शहर-ए-ताजिरान-ए-दाद-ए-दिल है
तलाश-ए-चारागर दीवानगी है

ग़ज़ल
जो कहते हैं किधर दीवानगी है
आबिद अख़्तर