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जो है वो क्यूँ है और जो नहीं है वो क्यूँ नहीं | शाही शायरी
jo hai wo kyun hai aur jo nahin hai wo kyun nahin

ग़ज़ल

जो है वो क्यूँ है और जो नहीं है वो क्यूँ नहीं

अब्दुर्रहमान मोमिन

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जो है वो क्यूँ है और जो नहीं है वो क्यूँ नहीं
ये जान लूँ अभी मुझे ऐसा जुनूँ नहीं

मैं क्या हूँ और क्यूँ हूँ मुझे इस से क्या ग़रज़
इस से भी क्या ग़रज़ मुझे हूँ भी कि हूँ नहीं

मैं चाहता हूँ मौत जो आए मिरी तरफ़
मैं मौत को गले से लगा लूँ मरूँ नहीं

जीने की आरज़ू मुझे ले आई है यहाँ
मैं वर्ना एक पल भी यहाँ पर रहूँ नहीं

जिस पर है काएनात का हर राज़ आश्कार
वो कह रहा है हाँ तो मैं कैसे कहूँ नहीं

'मोमिन-मियाँ' ये काम नहीं है ये इश्क़ है
क्या सोच में पड़े हो करूँ या करूँ नहीं