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जो फ़न से फ़िक्र की तदबीर गुफ़्तुगू करेगी | शाही शायरी
jo fan se fikr ki tadbir guftugu karegi

ग़ज़ल

जो फ़न से फ़िक्र की तदबीर गुफ़्तुगू करेगी

फ़ैज़ ख़लीलाबादी

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जो फ़न से फ़िक्र की तदबीर गुफ़्तुगू करेगी
तो गूँगी-बहरी भी तस्वीर गुफ़्तुगू करेगी

मैं जीते-जी उसे ऐसा हुनर सिखा दूँगा
कि मेरे बा'द ये तहरीर गुफ़्तुगू करेगी

अदालतों में गवाही हमें मिले न मिले
हमारे पाँव की ज़ंजीर गुफ़्तुगू करेगी

इसी उम्मीद पे आँखों के ख़्वाब ज़िंदा हैं
कि एक दिन कवी ता'बीर गुफ़्तुगू करेगी

पिघल ही जाएगा वो संग-दिल किसी दिन जब
मिरे ज़बान की तासीर गुफ़्तुगू करेगी

बदन से कर के बदन की समाअ'तों को दूर
ये साँस रूह से आख़ीर गुफ़्तुगू करेगी