जो फ़न से फ़िक्र की तदबीर गुफ़्तुगू करेगी
तो गूँगी-बहरी भी तस्वीर गुफ़्तुगू करेगी
मैं जीते-जी उसे ऐसा हुनर सिखा दूँगा
कि मेरे बा'द ये तहरीर गुफ़्तुगू करेगी
अदालतों में गवाही हमें मिले न मिले
हमारे पाँव की ज़ंजीर गुफ़्तुगू करेगी
इसी उम्मीद पे आँखों के ख़्वाब ज़िंदा हैं
कि एक दिन कवी ता'बीर गुफ़्तुगू करेगी
पिघल ही जाएगा वो संग-दिल किसी दिन जब
मिरे ज़बान की तासीर गुफ़्तुगू करेगी
बदन से कर के बदन की समाअ'तों को दूर
ये साँस रूह से आख़ीर गुफ़्तुगू करेगी

ग़ज़ल
जो फ़न से फ़िक्र की तदबीर गुफ़्तुगू करेगी
फ़ैज़ ख़लीलाबादी