जो अपने आप को सब कुछ समझ ले
न जाने आप को कब कुछ समझ ले
मुकर्रर इस लिए समझा रहा हूँ
बहुत मुमकिन है वो अब कुछ समझ ले
नसीहत का तुझे तब हक़ मिलेगा
तू अपने आप को जब कुछ समझ ले
दुआ के बा'द भी ये इल्तिजा है
ज़ियादा कह गया अब कुछ समझ ले
यहाँ सब कुछ किसे हासिल हुआ है
जो हासिल है उसे सब कुछ समझ ले
तग़ाफ़ुल को न इतना काम में ला
गुज़र जाएगी ये शब कुछ समझ ले

ग़ज़ल
जो अपने आप को सब कुछ समझ ले
आबिद अख़्तर