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जो अपने आप को सब कुछ समझ ले | शाही शायरी
jo apne aapko sab kuchh samajh le

ग़ज़ल

जो अपने आप को सब कुछ समझ ले

आबिद अख़्तर

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जो अपने आप को सब कुछ समझ ले
न जाने आप को कब कुछ समझ ले

मुकर्रर इस लिए समझा रहा हूँ
बहुत मुमकिन है वो अब कुछ समझ ले

नसीहत का तुझे तब हक़ मिलेगा
तू अपने आप को जब कुछ समझ ले

दुआ के बा'द भी ये इल्तिजा है
ज़ियादा कह गया अब कुछ समझ ले

यहाँ सब कुछ किसे हासिल हुआ है
जो हासिल है उसे सब कुछ समझ ले

तग़ाफ़ुल को न इतना काम में ला
गुज़र जाएगी ये शब कुछ समझ ले