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जिस ने जाना जहाँ तमाशा है | शाही शायरी
jis ne jaana jahan tamasha hai

ग़ज़ल

जिस ने जाना जहाँ तमाशा है

बबल्स होरा सबा

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जिस ने जाना जहाँ तमाशा है
उस की ठोकर में ये ज़माना है

बे-ग़रज़ हार-जीत से जो हो
ज़िंदगी उस की फ़ातेहाना है

फ़िक्र जो ख़ुद गिरफ़्त में रक्खे
उस का अंदाज़ शाइ'राना है

गर्म रखता है जो ख़ुदी अपनी
बे-नियाज़ी से वो शनासा है

दो ही पल का है खेल सारा 'सबा'
बा'द में ख़ाक सब को होना है