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जिस ने आदम के तईं जाँ बख़्शा | शाही शायरी
jis ne aadam ke tain jaan baKHsha

ग़ज़ल

जिस ने आदम के तईं जाँ बख़्शा

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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जिस ने आदम के तईं जाँ बख़्शा
ख़िज़्र को चश्मा-ए-हैवाँ बख़्शा

पीर-ए-कनआँ' को दिया दर्द-ए-फ़िराक़
यूसुफ़-ए-मिस्र को ज़िंदाँ बख़्शा

तख़्त बर्बाद सुलैमाँ का किया
देव को मुल्क-ए-सुलैमाँ बख़्शा

ज़ीनत अफ़्लाक को दी अंजुम से
महर को नूर-ए-दरख़्शाँ बख़्शा

ज़ेवर-ए-हुस्न किया चश्म-ए-हया
इश्क़ को दीदा-ए-हैराँ बख़्शा

कोहकन को कमर-ए-कोह दिया
क़ैस को दश्त का दामाँ बख़्शा

रंग-ओ-बू गुल को दिया गुलशन में
सैर-ए-बुलबुल को गुलिस्ताँ बख़्शा

कुफ़्र काफ़िर के नसीबों में लिखा
अहल-ए-इस्लाम को ईमाँ बख़्शा

रोज़-ए-मीसाक़ में 'हातिम' के तईं
चश्म-ए-गिर्यां दिल-ए-बिरयाँ बख़्शा