जीने की तय्यारी छोड़
यार मिरे हुश्यारी छोड़
सीधे अपनी बात पे आ
ये लहजा दरबारी छोड़
या दुनिया का ख़ौफ़ हटा
या फिर हम से यारी छोड़
चेहरा गुम हो जाएगा
ख़ुद से ये अय्यारी छोड़
दीवानों से हाथ मिला
अब ये दुनिया-दारी छोड़
लौट के घर भी जाना है
मंसब-ए-तख़्त-सवारी छोड़
अपने दिल से पूछ ज़रा
चल तू बात हमारी छोड़

ग़ज़ल
जीने की तय्यारी छोड़
मनीश शुक्ला