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जवाँ है रात साक़िया शराब ला शराब ला | शाही शायरी
jawan hai raat saqiya sharab la sharab la

ग़ज़ल

जवाँ है रात साक़िया शराब ला शराब ला

मदन पाल

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जवाँ है रात साक़िया शराब ला शराब ला
ज़रा सी प्यास तो बुझा शराब ला शराब ला

तिरे शबाब पर सदा करम रहे बहार का
तुझे लगे मिरी दुआ शराब ला शराब ला

यहाँ कोई न जी सका न जी सकेगा होश में
मिटा दे नाम होश का शराब ला शराब ला

तिरा बड़ा ही शुक्रिया पिलाए जा पिलाए जा
न ज़िक्र कर हिसाब का शराब ला शराब ला