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जश्न तुझ को मिरे नौ-शाह मुबारक होए | शाही शायरी
jashn tujhko mere nau-shah mubarak hoe

ग़ज़ल

जश्न तुझ को मिरे नौ-शाह मुबारक होए

मरदान सफ़ी

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जश्न तुझ को मिरे नौ-शाह मुबारक होए
बज़्म-ए-इशरत तिरी दिल-ख़्वाह मुबारक होए

शादमाँ बाप हो और बज़्म के हाज़िर सब लोग
तुझ को सर्वत मिरे जम-जाह मुबारक होए

होएँ फ़रज़ंद-ए-सईद और निशातें पैहम
फ़र्रूख़ हर साल हो हर माह मुबारक होए

हम तो शादी की मनाते हैं हमेशा घड़ियाँ
दूल्हा दुल्हन तुझे ज़ी-जाह मुबारक होए

दामन-ए-जामा है पा-बोस तिरा ऐ 'मर्दां'
जामा-ज़ेबी तिरी नौ-शाह मुबारक होए