जश्न तुझ को मिरे नौ-शाह मुबारक होए
बज़्म-ए-इशरत तिरी दिल-ख़्वाह मुबारक होए
शादमाँ बाप हो और बज़्म के हाज़िर सब लोग
तुझ को सर्वत मिरे जम-जाह मुबारक होए
होएँ फ़रज़ंद-ए-सईद और निशातें पैहम
फ़र्रूख़ हर साल हो हर माह मुबारक होए
हम तो शादी की मनाते हैं हमेशा घड़ियाँ
दूल्हा दुल्हन तुझे ज़ी-जाह मुबारक होए
दामन-ए-जामा है पा-बोस तिरा ऐ 'मर्दां'
जामा-ज़ेबी तिरी नौ-शाह मुबारक होए

ग़ज़ल
जश्न तुझ को मिरे नौ-शाह मुबारक होए
मरदान सफ़ी