जल्वा-सामाँ रुख़-ए-जानाँ न हुआ था सो हुआ
ज़र्रा ज़र्रा मह-ए-ताबाँ न हुआ था सो हुआ
कुछ तो पहले से ही अफ़्सुर्दा थे अहल-ए-गुलशन
कुछ ये ग़म ख़ून-ए-बहाराँ न हुआ था सो हुआ
मैं ने देखा है तिरी कम-निगही का अंजाम
आश्ना-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ
ये इनायत ये तिरा जूद-ओ-करम है कि मुझे
शिकवा-ए-तंगी-ए-दामाँ न हुआ था सो हुआ
अल्लाह अल्लाह मय-ओ-मीना का असर भी क्या है
कुछ इलाज-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ
ये तिरे शे'र तिरा हुस्न-ए-तग़ज़्ज़ुल 'असअद'
तिरे शे'रों से जो शादाँ न हुआ था सो हुआ
ग़ज़ल
जल्वा-सामाँ रुख़-ए-जानाँ न हुआ था सो हुआ
असअ'द बदायुनी