जहाँ को छोड़ दिया था जहाँ ने याद किया
बिछड़ गए तो बहुत कारवाँ ने याद किया
मिला नहीं उसे शायद कोई सितम के लिए
ज़ह-ए-नसीब मुझे आसमाँ ने याद किया
वो एक दल जो कड़ी धूप में झुलसता था
उसे भी साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ ने याद किया
पनाह मिल न सकी उन को तेरे दामन में
वो अश्क जिन को मह-ओ-कहकशाँ ने याद किया
ख़याल हम को भी कुछ आशियाँ का था लेकिन
क़फ़स में हम को बहुत आशियाँ ने याद किया
हमारे बा'द बहाए किसी ने कब आँसू
हम अहल-ए-दर्द को अब्र-ए-रवाँ ने याद किया
ग़म-ए-ज़माना से फ़ुर्सत नहीं मगर फिर भी
'मजीद' चल तुझे पीर-ए-मुग़ाँ ने याद किया

ग़ज़ल
जहाँ को छोड़ दिया था जहाँ ने याद किया
मजीद लाहौरी