EN اردو
जब तक तुझ को मौत न आए कर ले रैन-बसेरा बाबा | शाही शायरी
jab tak tujhko maut na aae kar le rain-basera baba

ग़ज़ल

जब तक तुझ को मौत न आए कर ले रैन-बसेरा बाबा

शम्स रम्ज़ी

;

जब तक तुझ को मौत न आए कर ले रैन-बसेरा बाबा
आती जाती इस दुनिया में क्या मेरा क्या तेरा बाबा

गाँव में संध्या हो के ये क्या है बंद हुए हैं सब दरवाज़े
बेरी जग में ताक में है अब एक इक साईं लुटेरा बाबा

एक सियासी चाल की ख़ातिर कितना भयानक क़त्ल हुआ है
पूरब पच्छिम उतर दक्खिन निकला सुर्ख़ सवेरा बाबा

बहने वाली नदिया को भी कब इस का एहसास हुआ है
कितनी खेती नष्ट हुई है जब इस ने रुख़ फेरा बाबा

उस के रौशन मुखड़े पर ये बिखरी बिखरी काली ज़ुल्फ़ें
जैसे जग के उजियारों पर छाए घोर अँधेरा बाबा

कोई नहीं था स्थापित तो इस में थे सन्नाटे गहरे
मेरे मन मंदिर में आ कर किस ने शोर बिखेरा बाबा

दीन धरम के पंडित मुल्ला अच्छे ठेकेदार बने हैं
चल कर दूर कहीं बस्ती से डालें अपना डेरा बाबा

छोटी छोटी बूंदों ही से ताल-तलैयाँ बन जाती हैं
छोटे छोटे फल वाला ही देखा पेड़ घनेरा बाबा

रूप न तुम ने मुझ को दिखाया 'शम्स' पे करते दान ही कुछ तो
बरसों तुम्हारी इस नगरी में मंगता बन कर ठेरा बाबा