जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है
ऐ दोस्त मेरा होश में आना मुहाल है
बादा-कशों ने पाई है मेराज-ए-आशिक़ी
साक़ी ये तेरी मस्त नज़र का कमाल है

ग़ज़ल
जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है
ऐ दोस्त मेरा होश में आना मुहाल है
बादा-कशों ने पाई है मेराज-ए-आशिक़ी
साक़ी ये तेरी मस्त नज़र का कमाल है