EN اردو
जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है | शाही शायरी
jab tak meri nigah mein tera jamal hai

ग़ज़ल

जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है

फ़ना बुलंदशहरी

;

जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है
ऐ दोस्त मेरा होश में आना मुहाल है

बादा-कशों ने पाई है मेराज-ए-आशिक़ी
साक़ी ये तेरी मस्त नज़र का कमाल है