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जब भी उस की ख़्वाहिश रखना | शाही शायरी
jab bhi uski KHwahish rakhna

ग़ज़ल

जब भी उस की ख़्वाहिश रखना

हबीब कैफ़ी

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जब भी उस की ख़्वाहिश रखना
अच्छा है कुछ दानिश रखना

लाख मनअ' कर देने पर भी
जारी अपनी कोशिश रखना

मैं ने मोहब्बत सिखलाई थी
सीखा किस ने रंजिश रखना

दिल मंदिर मस्जिद जैसा है
दिल में न कोई साज़िश रखना

ख़्वाहिश में सर भी जाते हैं
सोच समझ कर ख़्वाहिश रखना

चाहत का मतलब होता है
दिल में ज़िंदा आतिश रखना

हँस देने पर उस के आगे
कोई मत फ़रमाइश रखना